अंग्रेजी में तो आसमान चीर आते हम, पर वो पढ़ती नहीं हैं वैसे
दिल के टूटे तुकड़ोकी कोई जुबान कहां होती है वैसे
जिस के लिए हम लिखे जा रहे थे, वो कविता पढ़ती नहीं हैं वैसे
मैं तो अपने आपको ढूंढता रहता हूं शब्दों के दर बदर
ठिकाना तो मिलता है नही, खो चुका हूं खुदको ऐसे
अगर वो पढ़ लिए कभी , पढ़कर दिल को समझेंगे अगर
कलम रख दूंगा तभी, बस तब तक ये स्याही से होगी रेहगुजार
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