Tuesday 16 March 2021

कुछ लिख दूं
शायद लिखकर 
     मन संभाल जाएगा
पर अल्फ़ाज़ न आए
तो कैसे चलेगी उंगलिया
दिल के तारो को कैसे छेड़े
जब धुन ही न आए
मन तो जैसे मानता ही नही
पर, मनाना ज़रूरी है
और भी तो काम है
सिवाय इश्क लड़ाने के।




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