Saturday 8 April 2023

आज न गई तू लाली चटवाने
उस गैर की आगोश में फिरसे 
बनके उसकी प्यास का मलहम
बनते तो बड़े ही भोले से थे जब
हमसे लिपट बुलाते हमको बलम

जिन हाथोको थे तेरे केस रूमानी
आज उन हाथो को गैरो में ढूंढे
चाहे शक्ल मिल जाए, दिल न मिले
जो दिल मिले तो न मिल पाए शक्ल
हमसे ही तो तुमको थे सारे शिकवे गिले

आज न गई तू लाली चटवाने
उस गैर की आगोश में फिरसे 
आज तो शायद मेरा बुत बनेगा
मंत्र चिड़ेंगे, श्राप उगल आए तुझमें
पर मेरी प्यास तो इन सबसे ही बुझेगा

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