Friday 19 February 2021

मैं नही जाना, यमुना तट

मैं नही जाना, यमुना किनारे
कहते है वहां है विरह राग
साल बीते कई, 
मैं क्या, तट भी व्याकुल बसे हैं

जल भी प्यासा
तट के पेड़ो में न फल
न फूल न पंछी
यमुना बने है मरुस्थल 

पत्र न, छाया
बसंत भी आया
क्या लाया, न झूला न नाचे मयूर
यमुना सी मेरे नयन की धारा

मैं नही जाना, यमुना तट
मेरा सब तो वहीं बीता
अब न कान्हा, न मुरलीधुन
केवल विरह, और बहते नयन



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