पर क्या ले, क्या दे गया
मैं तो न था यहां , तू भी नही
पर तु सोच रह गया मैं, तुम
हम , वहां , यहां, आज, कल
अब तू पूछे क्या मैं मीरा बन बैठूँ
यहां न मैं कान्हा, न तो तेरे पास इकतारा
मैं आया, जब बुलावा था
अब न तू, न तेरा बुलावा
जैसे मरुस्थल, न पानी, न जीव
मैं तो वहीं, मैं भी वही
जहां तू आखरी बार छोड़ आया
सब तो देख तू चल दिया
पर क्या ले, क्या दे गया
मीरा ने बन, न मैं बन जाऊं
कान्हा न बनु, न तू बन
दोनो तो न मिले कभी
मैं तो मिला, तू चल दिया।
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