Wednesday 13 January 2021

चल टपरी पे

आजाओ कभी टपरी पर
मिलेंगे , करेंगे दो बातें
बकर बकर , याद करे
वो पुरानी मुलाकातें
जिन लम्हों में हम शेर थे
दिलेर थे, राजा थे, फ़क़ीर थे
टपरी भी वहीं है
मैं भी वही हूँ
तुम भी वही
आजाओ कभी टपरी पर
ज़िन्दगी ने हमको बहुत सताया
यारों ने कहा , "हम हैं"
वक़्त ने सबको बहुत रुलाया
यार तभी भी थे साथ में
उम्र बढ़ गयी
न कॉलेज रहा न कट्टा हमारा
दोनो तो वही हैं
हम घरो मैं कैद पड़े है
आजाओ कभी टपरी पर
शायद धुंए , चाय, और गपशप में
दिख जाएं वोह पुराने वाले हम ।

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